पाकिस्तानी मीडिया का प्रोपेगेंडा
गुरपतवंत सिंह पन्नू के बयान को हवा
Published on: May 02, 2025
By: BTI
Location: Chandigarh, India
पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन इस बार मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। पाकिस्तानी मीडिया, खासकर जियो न्यूज, ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के हरियाणा को भाखड़ा नहर का पानी रोकने के फैसले को भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा के रूप में पेश किया है। पाकिस्तानी मीडिया ने इसे “सिख बनाम हिंदू” के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है, साथ ही खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के बयानों को प्रमुखता दी है। इस बीच, सवाल उठ रहे हैं कि क्या भगवंत मान ने जानबूझकर इस समय पानी रोकने का फैसला लिया, और इसके पीछे उनकी मंशा क्या थी?
पाकिस्तानी मीडिया का दावा और प्रोपेगेंडा पाकिस्तानी चैनल जियो न्यूज ने दावा किया कि “भारत ने पाकिस्तान का पानी बंद करने की कोशिश की, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा का पानी रोककर भारत को करारा जवाब दिया।” खबर में यह भी कहा गया कि हरियाणा में फसलें सूख रही हैं और दोनों राज्यों में “जंग जैसी स्थिति” है। इसके साथ ही, पाकिस्तानी मीडिया ने इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की, यह दावा करते हुए कि “यदि भारत-पाकिस्तान के बीच जंग होती है, तो सिख समुदाय भारत का साथ नहीं देगा।” खालिस्तानी आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के बयानों को भी प्रमुखता दी गई, जिसमें उसने भारत सरकार पर निशाना साधा और खालिस्तान समर्थक रुख को बढ़ावा दिया।
पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा का मकसद पाकिस्तानी मीडिया का यह प्रोपेगेंडा कोई नई रणनीति नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ा है, जिसके जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया। इस फैसले से पाकिस्तान में पानी की कमी की आशंका बढ़ गई है, जिसके चलते वह भारत के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ने की कोशिश कर रहा है। भगवंत मान के फैसले को सिख-हिंदू विवाद से जोड़कर पाकिस्तान भारत के आंतरिक एकता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। पन्नू के बयानों को हवा देकर वह खालिस्तानी एजेंडे को बढ़ावा देना चाहता है, जो पहले भी भारत के खिलाफ सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर उकसाने का काम करता रहा है।
भगवंत मान का फैसला: समय और मंशा पर सवाल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 29 अप्रैल 2025 को एक वीडियो संदेश में कहा था कि पंजाब हरियाणा को अपनी जल सीमा से बाहर एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं देगा। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा अपने हिस्से का पानी पहले ही इस्तेमाल कर चुका है। इस फैसले के बाद भाखड़ा नहर से हरियाणा को मिलने वाला पानी 9,500 क्यूसेक से घटाकर 4,000 क्यूसेक कर दिया गया, जिससे हरियाणा के पांच जिलों में पेयजल और सिंचाई पर असर पड़ा।
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस फैसले की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। एक एक्स पोस्ट में कहा गया, “जब पूरा देश पाकिस्तान से लड़ रहा है, भगवंत मान ने हरियाणा के खिलाफ जल युद्ध छेड़ दिया।” कुछ ने इसे खालिस्तानी एजेंडे से जोड़ा, हालांकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं हैं। दूसरी ओर, मान के समर्थकों का कहना है कि यह फैसला पंजाब के हित में है, क्योंकि राज्य पहले ही पानी की कमी से जूझ रहा है।
क्या मान ने जानबूझकर टाइमिंग चुनी? यह कहना मुश्किल है कि भगवंत मान ने जानबूझकर इस समय पानी रोकने का फैसला लिया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला स्थानीय राजनीति और पंजाब के किसानों के दबाव का नतीजा हो सकता है, जो लंबे समय से हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का विरोध करते रहे हैं। हालांकि, भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच इस फैसले की टाइमिंग ने इसे विवादास्पद बना दिया। मान ने पहले भी किसान आंदोलनों में मध्यस्थ की भूमिका निभाई है, लेकिन इस बार उनकी सख्ती ने हरियाणा और केंद्र सरकार के साथ तनाव बढ़ा दिया।
क्या यह खालिस्तानी साजिश का हिस्सा है? पाकिस्तानी मीडिया और कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में भगवंत मान को “खालिस्तानी” करार देने की कोशिश की गई, लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं। मान आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता हैं, और उनकी सरकार ने पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। फिर भी, पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा और पन्नू जैसे आतंकियों के बयानों ने इस मुद्दे को धार्मिक रंग देने की कोशिश की है, जो भारत की एकता के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
निष्कर्ष भगवंत मान का पानी रोकने का फैसला पंजाब के स्थानीय हितों से प्रेरित हो सकता है, लेकिन इसकी टाइमिंग ने इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विवाद का हिस्सा बना दिया। पाकिस्तानी मीडिया ने इसे सिख-हिंदू विवाद के रूप में पेश करके भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने की कोशिश की है। भारत सरकार और पंजाब-हरियाणा प्रशासन को इस मुद्दे को जल्द सुलझाने की जरूरत है, ताकि पाकिस्तान को भारत की आंतरिक एकता पर सवाल उठाने का मौका न मिले। साथ ही, भगवंत मान को भी भविष्य में ऐसे संवेदनशील फैसलों की टाइमिंग पर ध्यान देना होगा, ताकि अनजाने में भी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा न मिले।