जॉर्ज सोरोस और विपक्ष के बीच गठजोड़ का संकेत, एनजीओ और बाहरी ताकतों से आंतरिक खतरा अधिक गंभीर
Published on: October 02 , 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने जॉर्ज सोरोस और भारतीय विपक्ष के बीच संभावित संबंधों पर चिंताजनक टिप्पणी की है। एशियन न्यूज इंटरनेशनल (एएनआई) को दिए एक विशेष इंटरव्यू में सूद ने कहा कि सोरोस की भारत विरोधी बयानबाजी, एनजीओ को दी जाने वाली सहायता और विपक्ष के राजनीतिक बयानों से एक गठबंधन का आभास होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आंतरिक खतरा हमेशा बाहरी खतरों से कहीं अधिक खतरनाक होता है।
यह बयान उस समय आया है जब भारत में विदेशी फंडिंग और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर बहस तेज हो रही है। सूद, जो 2000 से 2003 तक रॉ के प्रमुख रहे, ने इंटरव्यू में स्पष्ट शब्दों में कहा, “सोरोस के हमारे बारे में बोलने का तरीका, यहां एनजीओ को दी जाने वाली सहायता और विपक्ष द्वारा किए जा रहे राजनीतिक बयान—ये सब एक गठबंधन का संकेत देते हैं। मुझे यकीन है कि संबंधित एजेंसियां इसकी पूरी जानकारी रखती होंगी। बाहर बैठकर देखने पर मुझे लगता है कि एक कनेक्शन है। आंतरिक खतरा हमेशा बाहरी खतरों से बड़ा होता है।
“सोरोस की भूमिका और भारत पर नजरजॉर्ज सोरोस, हंगेरियन-अमेरिकी अरबपति निवेशक और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक, लंबे समय से वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र और मानवाधिकारों के नाम पर फंडिंग के लिए चर्चा में रहे हैं। भारत में उनकी आलोचना तब चरम पर पहुंची जब अगस्त 2023 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, विशेष रूप से अडानी समूह से जुड़े मुद्दों पर तीखा प्रहार किया। सोरोस ने कहा था कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था खतरे में है और अडानी-मोदी गठजोड़ देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है।
Also read- https://www.btnewsindia.com/maoist-casualties-hit-250-in-chhattisgarh-after-bijapur-encounter-eliminates-three-insurgents/ https://www.btnewsindia.com/three-dead-in-shocking-electrocution-during-kabaddi-match-in-kondagaon-two-critical/
इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोरोस को ‘एंटी-इंडिया’ ताकत का चेहरा करार दिया। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सोरोस के फंड एनजीओ के जरिए भारत में अस्थिरता फैलाने का काम कर रहे हैं। सूद का बयान इसी संदर्भ को मजबूत करता है, जहां वे सोरोस की फंडिंग को विपक्ष के एजेंडे से जोड़ते नजर आते हैं।एएनआई इंटरव्यू का पूरा संदर्भएएनआई के इस इंटरव्यू को ‘पॉडकास्ट विद स्मिता प्रकाश’ सीरीज का हिस्सा माना जा रहा है, हालांकि यह हालिया एपिसोड लगता है।
पूर्व रॉ चीफ सूद, जो अब ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के सलाहकार हैं, ने अपनी किताब ‘द अनएंडिंग गेम: ए फॉर्मर रॉ चीफ्स इनसाइट्स इनटू एस्पियोनेज’ में भी खुफिया दुनिया के रहस्यों पर प्रकाश डाला है। इस इंटरव्यू में वे कर्गिल युद्ध, पाकिस्तान की साजिशों और चीन के खतरे जैसे मुद्दों पर पहले भी बोल चुके हैं, लेकिन सोरोस-विपक्ष लिंक पर यह पहली बार इतनी स्पष्ट टिप्पणी है।इंटरव्यू का वीडियो एएनआई के आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर शेयर किया गया है, जहां अब तक 1,700 से अधिक व्यूज हो चुके हैं। पूरा इंटरव्यू यूट्यूब पर उपलब्ध है (लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=Ywnu_V…), जहां सूद राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।विपक्ष की प्रतिक्रिया और राजनीतिक विवादविपक्ष ने सूद के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “पूर्व खुफिया अधिकारी को राजनीतिक बयानबाजी से बचना चाहिए।
यह आरोप बेबुनियाद हैं और सरकार का डर दिखाते हैं।” वहीं, भाजपा ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि यह ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ और विदेशी ताकतों के गठजोड़ का प्रमाण है।सोशल मीडिया पर यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है। एक्स पर #SorosOppositionLink जैसे हैशटैग वायरल हो रहे हैं, जहां यूजर्स सूद के बयान को शेयर कर रहे हैं। एक पोस्ट में एएनआई ने वीडियो क्लिप साझा की, जिस पर 10 लाइक्स और 3 रीपोस्ट हो चुके हैं।विशेषज्ञों की राय: आंतरिक खतरे की अनदेखी घातकसुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सूद का बयान समय पर है। रक्षा विश्लेषक प्रवीण दाहिया ने कहा, “विदेशी फंडिंग कानून (एफसीआरए) के तहत एनजीओ की निगरानी जरूरी है, लेकिन राजनीतिक स्तर पर इसका दुरुपयोग हो रहा है।
आंतरिक गठजोड़ बाहरी आक्रमण से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।” पूर्व आईपीएस अधिकारी नेहा सिंह भी सहमत हैं कि सोरोस जैसे व्यक्तियों की फंडिंग लोकतंत्र के नाम पर अराजकता फैला सकती है।सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, 2024 में 6,000 से अधिक एनजीओ की विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द किए गए, जो इस खतरे की गंभीरता दर्शाता है।निष्कर्ष: सतर्कता की घंटीविक्रम सूद का यह बयान राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक नई बहस छेड़ सकता है। क्या यह विपक्ष और बाहरी ताकतों के बीच वास्तविक गठजोड़ है या राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा? समय ही बताएगा। फिलहाल, सरकार को खुफिया एजेंसियों से सिफारिशें लेनी होंगी।