कुछ बड़ा, अकल्पनीय हो सकता है!
स्थिति और प्रतिक्रिया पर विस्तृत रिपोर्ट
(पुरुषोत्तम तिवारी)
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई, और इसे हाल के वर्षों में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है। इस हमले के बाद देश में गुस्से और शोक का माहौल है। ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नरसंहार के जवाब में भारतीय सेना को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरी छूट दे दी है। यदि यह सच है, तो यह भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। जिस प्रकार से पीएम नरेंद्र मोदी ने इस नरसंहार के बाद सार्वजनिक मंच से कहा था कि इस आतंक व नरसंहार को अंजाम देने वाले एवं इसके षड्यंत्रकारियों को उनकी कल्पना से भी अधिक सजा मिलेगी उससे तो अब यही प्रतीत होता नजर आ रहा है कि कुछ बड़ा व अकल्पनीय होने वाला है।
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया और सेना को छूट
पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मंचों पर इसकी कड़ी निंदा की। 27 अप्रैल 2025 को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “पहलगाम में हुआ आतंकी हमला आतंक के आकाओं की हताशा को दिखाता है। कुछ लोगों को कश्मीर की तरक्की पसंद नहीं आ रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना ने हर भारतीय का खून खौलने पर मजबूर कर दिया है।
29 अप्रैल 2025 को एनडीटीवी इंडिया ने एक ब्रेकिंग न्यूज में दावा किया कि पीएम मोदी ने पहलगाम हमले के बाद सेना को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए “खुली छूट” दी है। इसके अलावा, एक अन्य एक्स पोस्ट में दावा किया गया कि पीएम ने कहा, “यदि सभी देश एक साथ आएं, तो आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है।”
इस “खुली छूट” का अर्थ है कि भारतीय सेना को आतंकवादियों के ठिकानों पर सटीक और त्वरित कार्रवाई करने की स्वतंत्रता दी गई है। यह नीति 2019 के पुलवामा हमले के बाद की गई बालाकोट एयरस्ट्राइक की याद दिलाती है, जब भारत ने पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया था।
26 अप्रैल 2025 को पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति (सीसीएस) की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें इस हमले के जवाब में कड़े कदम उठाने पर चर्चा हुई। इसके अलावा, सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने सरकार के हर कदम का समर्थन करने का वादा किया।
जिस प्रकार से भारत सरकार या कहा जाए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को वास्तव में “खुली छूट” दी गई है, तो हम सीमा पार आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक या बड़े पैमाने पर ऑपरेशन देख सकते हैं। यह भारत-पाकिस्तान तनाव को और बढ़ा सकता है।
कूटनीतिक प्रभाव: भारत के सिंधु जल समझौते को रद्द करने और अन्य कदमों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तनाव बढ़ सकता है। पाकिस्तान ने पहले ही इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की बात कही है।
आंतरिक सुरक्षा: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है, और बेंगलुरु जैसे शहरों में हाई अलर्ट जारी किया गया है।
राजनीतिक एकजुटता: सर्वदलीय बैठक में सभी दलों का समर्थन सरकार के लिए एक मजबूत संदेश है, लेकिन विपक्ष के आरोप भविष्य में राजनीतिक विवाद का कारण बन सकते हैं।
पहलगाम आतंकी हमला भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है, और पीएम मोदी द्वारा सेना को दी गई कथित “खुली छूट” इस बात का संकेत है कि सरकार इस बार कठोर कार्रवाई करने के मूड में है। हालांकि, यह कदम भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना सकता है। देश की जनता इस समय एकजुट है।