*तनाव के बीच नई चुनौतियां*
Published on: May 03, 2025
By: BTI
Location: Krachi/ New Delhi, India
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के खिलाफ धार्मिक उत्पीड़न और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल के महीनों में, खासकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच, पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में हिंदुओं को धर्म परिवर्तन करने या भारत छोड़ने की धमकियां मिलने की खबरें सामने आई हैं। इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है, और भारत में बसे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के बीच भी डर का माहौल है।
*सिंध में बढ़ता उत्पीड़न*
सोशल मीडिया पर हाल ही में वायरल हुए कई वीडियो और पोस्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत, विशेष रूप से दादू, थारपारकर और उमरकोट जैसे क्षेत्रों में, स्थानीय हिंदुओं को कट्टरपंथी समूहों द्वारा धमकियां दी जा रही हैं। एक घटना में, दादू में एक हिंदू व्यक्ति के अंतिम संस्कार को कथित तौर पर बाधित किया गया, जहां चिता पर पानी डालकर उसे अपवित्र करने की कोशिश की गई। इसके अलावा, हिंदू मंदिरों को तोड़ने, अपवित्र करने और अतिक्रमण की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा बढ़ गई है।
पाकिस्तान में हिंदू महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। सिंध में हर महीने औसतन 25 हिंदू लड़कियों को अगवा कर जबरन इस्लाम कबूल करवाने की खबरें हैं। एक पीड़िता, हरिया (काल्पनिक नाम), ने बताया कि उसे नशीला पदार्थ देकर बेहोश किया गया और बाद में उससे कहा गया कि वह अब मुसलमान है और उसकी शादी हो चुकी है।
भारत में बसे पाकिस्तानी हिंदुओं की चिंता
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने और उन्हें 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया था। हालांकि, लंबी अवधि के वीजा धारक पाकिस्तानी हिंदुओं को इस आदेश से छूट दी गई है। फिर भी, भारत में बसे कई पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी, खासकर दिल्ली, राजस्थान और गुजरात में रहने वाले, अपनी नागरिकता की स्थिति को लेकर अनिश्चितता में हैं। उल्हासनगर (महाराष्ट्र) में रहने वाले एक पाकिस्तानी हिंदू, रमेश कुमार (बदला हुआ नाम), ने कहा, “हमने पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण सब कुछ छोड़कर भारत में शरण ली। अब हमें डर है कि कहीं हमें वापस न भेज दिया जाए।”
*पाकिस्तान सरकार का रुख*
पाकिस्तान सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि वह अपने अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। कुछ पाकिस्तानी हिंदुओं ने भी सोशल मीडिया पर कहा कि उन्हें कोई खतरा नहीं है और सरकार उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट्स में लगातार हिंदुओं के उत्पीड़न की बात सामने आ रही है, जिससे इन दावों पर सवाल उठते हैं।
*अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की भूमिका*
भारत ने पाकिस्तान में हिंदुओं के उत्पीड़न का मुद्दा कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है। विदेश मंत्रालय ने 2012 में भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार से जवाब मांगा था, लेकिन तब पाकिस्तान ने दावा किया था कि वह अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करता है। हाल के तनाव के बीच, भारत ने पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज करने का वादा किया है, लेकिन कई शरणार्थी अब भी लंबी कागजी कार्रवाइयों के कारण इंतजार में हैं।
*वैश्विक चुप्पी और भविष्य*
पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति पर वैश्विक समुदाय की चुप्पी को लेकर कई संगठनों ने नाराजगी जताई है। सोशल मीडिया पर कुछ उपयोगकर्ताओं ने लिखा, “गाजा के मुद्दे पर दुनिया रोती है, लेकिन पाकिस्तान में हिंदुओं की पीड़ा पर कोई बोलता नहीं।” विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और पाकिस्तान में हिंदुओं पर बढ़ते दबाव के कारण शरणार्थियों की संख्या में और इजाफा हो सकता है।
*निष्कर्ष*
पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक उत्पीड़न और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा कर रही हैं। भारत सरकार द्वारा पाकिस्तानी हिंदुओं को समर्थन देने के प्रयासों के बावजूद, इस समुदाय के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक भविष्य सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदमों की जरूरत है।