ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक, थल सेना प्रमुख ने युद्ध की अनिश्चितता और आधुनिक रणनीति पर रखी स्पष्ट बात
Published on: September 09, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने युद्ध की अनिश्चितता पर जोर देते हुए महत्वपूर्ण बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध की प्रकृति अप्रत्याशित होती है और भारत को छोटे-छोटे अभियानों के साथ-साथ लंबे समय तक चलने वाले संघर्षों के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के 52वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में बोलते हुए जनरल द्विवेदी ने वैश्विक और क्षेत्रीय युद्धों के उदाहरण देकर अपनी बात स्पष्ट की।
उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध, ईरान-इराक युद्ध और हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए चेतावनी दी कि कोई भी युद्ध पूर्वानुमान के अनुसार नहीं चलता।जनरल द्विवेदी ने कहा, “युद्ध हमेशा अप्रत्याशित होता है। जब रूस ने युद्ध शुरू किया, तो हम सबको लगा कि यह सिर्फ 10 दिनों तक चलेगा। लेकिन यह लंबा खिंच गया। ईरान-इराक युद्ध करीब 10 वर्षों तक चला, जो एक लंबी अवधि का संघर्ष था।
लेकिन जब ऑपरेशन सिंदूर की बात आती है, तो हमें भी नहीं पता था कि यह कितने दिनों तक चलेगा। ज्यादातर लोग कह रहे थे कि यह चार दिनों के टेस्ट मैच की तरह क्यों समाप्त हो गया।” उन्होंने जोर देकर कहा कि युद्ध की अवधि का अनुमान लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि इसमें दुश्मन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव, तकनीकी क्षमताओं और अप्रत्याशित कारकों की भूमिका होती है।ऑपरेशन सिंदूर, जो मई 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे।
इस अभियान में भारतीय सेनाओं ने मिसाइलों और ड्रोन के माध्यम से नौ प्रमुख आतंकी केंद्रों को नष्ट किया, जिसमें सैन्य और नागरिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने से बचा गया। जनरल द्विवेदी ने बताया कि ऑपरेशन 7 मई को शुरू हुआ और 10 मई को युद्धविराम के बावजूद इसके प्रभाव लंबे समय तक चले। उन्होंने कहा, “लोग सोचते हैं कि 10 मई को युद्ध समाप्त हो गया, लेकिन ऐसा नहीं था। यह लंबे समय तक जारी रहा, क्योंकि कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने बाकी थे।” इस ऑपरेशन को एक ‘लयबद्ध लहर’ की तरह वर्णित करते हुए उन्होंने थल, वायु और साइबर सेनाओं के बीच पूर्ण तालमेल की सराहना की।
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थल सेना प्रमुख ने आधुनिक युद्ध की तीन प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डाला। पहला, युद्ध अब पारंपरिक मोर्चों तक सीमित नहीं रहते, बल्कि फैले हुए, वितरित और व्यापक होते हैं। उन्होंने कहा कि मिसाइलें, ड्रोन और साइबर हमले जहां कहीं भी हो सकते हैं, यह ऑपरेशन सिंदूर और रूस-यूक्रेन संघर्ष से स्पष्ट है। दूसरा, कम लागत वाली उच्च तकनीक युद्ध को लंबा खींचने के लिए आवश्यक है। उन्होंने यूक्रेन के उदाहरण से बताया कि कैसे कम संसाधनों वाली सेना मजबूत दुश्मन को चुनौती दे सकती है। तीसरा, भूमि पर नियंत्रण ही विजय की मुद्रा है। जनरल द्विवेदी ने जोर दिया कि भारत के संदर्भ में थल सेनाओं की भूमिका सर्वोपरि रहेगी, क्योंकि युद्ध का अंतिम लक्ष्य क्षेत्रीय प्रभुत्व स्थापित करना होता है।जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल की गई स्वदेशी तकनीकों का भी जिक्र किया।
उन्होंने ‘संबंध’ (सुरक्षित आर्मी मोबाइल भारत संस्करण) फोन का उल्लेख किया, जो कमांड और संचार के लिए उपयोग किया गया। उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप जैसी विदेशी ऐप्स के बजाय स्वदेशी उपकरणों का उपयोग युद्ध में सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, उन्होंने वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और सैनिकों के बीच तालमेल की सराहना की, जो इस ऑपरेशन को सफल बनाने का आधार बना।इस बयान से भारतीय सेना की तैयारी पर नई चर्चा छिड़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जनरल द्विवेदी के ये विचार न केवल वर्तमान चुनौतियों को संबोधित करते हैं, बल्कि भविष्य के युद्धों के लिए रणनीतिक दिशा प्रदान करते हैं।
उन्होंने नागरिकों और वैज्ञानिकों से भी रक्षा प्रयासों में योगदान देने का आह्वान किया, ताकि भारत एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति बन सके। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता दिखाई, बल्कि आधुनिक युद्ध की नई परिभाषा भी गढ़ी।
युद्ध की अनिश्चितता से सबक: लंबे संघर्षों के लिए उच्च तकनीक और भूमि प्रभुत्व पर जोर
जनरल द्विवेदी के बयान ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहस को नई गति दी है। थल सेना प्रमुख ने स्पष्ट किया कि छोटे अभियान भले ही तेजी से समाप्त हो जाएं, लेकिन लंबे युद्धों के लिए भारत को सतत तैयारी करनी होगी। यह बयान न केवल सैन्य रणनीति का हिस्सा है, बल्कि पूरे राष्ट्र को एकजुट करने का संदेश भी है।