प्रसूताओं को भुगतान में देरी होने से
, जांच के आदेश
होने से
, जांच के आदेशPublished on: May 11, 2025
By: BTI
Location: Indore, India
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के तहत गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली आर्थिक सहायता की प्रक्रिया में बड़ी लापरवाही सामने आई है। योजना से संबंधित महत्वपूर्ण फाइल के गुम होने की शिकायत के बाद हजारों प्रसूताओं को उनके हक की राशि का भुगतान लंबित हो गया है। इस मामले में जिला प्रशासन ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मामलों में, लाभार्थियों के कागजात, जैसे आधार कार्ड और बैंक पासबुक की प्रतियां भी गायब हैं। यह योजना गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, और ऐसे मामलों में, लाभार्थियों को वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।

क्या है मामला?
जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव के बाद गर्भवती महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। इंदौर के स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस योजना के तहत लाभार्थियों के दस्तावेज और भुगतान से संबंधित एक महत्वपूर्ण फाइल गुम हो गई है। इस फाइल में पिछले छह महीनों में सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने वाली सैकड़ों महिलाओं के रिकॉर्ड शामिल थे।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता रमेश पटेल ने बताया, “कई महिलाएं महीनों से अपनी सहायता राशि का इंतजार कर रही हैं। फाइल गुम होने की वजह से भुगतान प्रक्रिया रुक गई है, जिससे गरीब परिवारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।”
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प्रशासन का रुख
जिला कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को तलब किया है। कलेक्टर ने कहा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी महत्वपूर्ण योजना से जुड़ी फाइल गुम हो गई। हमने जांच समिति गठित कर दी है, जो सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फाइल के डिजिटल रिकॉर्ड की जांच की जा रही है और जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था के तहत लंबित भुगतान शुरू किए जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि यह तकनीकी खामी है और जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।
योजना की स्थिति और प्रभाव
जननी सुरक्षा योजना, जो 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत शुरू की गई थी, का उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करना है। मध्य प्रदेश में इस योजना ने लाखों महिलाओं को लाभ पहुंचाया है, लेकिन हाल के वर्षों में भुगतान में देरी की शिकायतें बढ़ी हैं। X पर एक पोस्ट में दावा किया गया कि मध्य प्रदेश में 40,000 से अधिक प्रसूताओं को पिछले एक साल से जननी सुरक्षा योजना का भुगतान नहीं मिला है।
लाभार्थियों की पीड़ा
इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र की एक लाभार्थी, शांति बाई ने बताया, “मैंने चार महीने पहले सरकारी अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया, लेकिन अभी तक मुझे 1400 रुपये की सहायता राशि नहीं मिली। यह राशि हमारे जैसे गरीब परिवारों के लिए बहुत मायने रखती है।” कई आशा कार्यकर्ताओं ने भी अपनी प्रोत्साहन राशि न मिलने की शिकायत की है।
आगे की राह
स्वास्थ्य विभाग ने लाभार्थियों से अपील की है कि वे अपने दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण और प्रसव प्रमाणपत्र, निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में जमा करें ताकि भुगतान प्रक्रिया को तेज किया जा सके। साथ ही, विभाग ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया को मजबूत करने का वादा किया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि गरीब महिलाओं के लिए इस महत्वपूर्ण योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी सवाल उठाता है। जांच के नतीजे और भुगतान प्रक्रिया की प्रगति पर सभी की नजरें टिकी हैं।