कर्नाटक और तमिलनाडु पर शिवाजी की विजय के पीछे की प्रेरक कहानी
Published on: July 11, 2025
By: [BTNI]
महाराष्ट्र के वीर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और रणनीतिक कौशल की कहानियां इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवाजी महाराज ने न केवल महाराष्ट्र, बल्कि कर्नाटक और तमिलनाडु के क्षेत्रों को भी अपनी तलवार और बुद्धिमत्ता से जीता था? यह कहानी उन अनकही गाथाओं में से एक है, जो आपको रोंगटे खड़े कर देगी।
कर्नाटक पर शिवाजी की विजय:
1670 के दशक में, शिवाजी महाराज ने दक्षिण भारत की ओर अपनी नजरें दौड़ाईं। बीजापुर के आदिलशाही साम्राज्य के कमजोर पड़ने का फायदा उठाते हुए, उन्होंने कर्नाटक के महत्वपूर्ण किलों पर कब्जा करने की योजना बनाई। 1677 में, शिवाजी ने अपनी सेना के साथ जिनजी, वेल्लोर और अन्य क्षेत्रों पर आक्रमण किया। उनकी गोरिल्ला युद्ध रणनीति और तेज-तर्रार हमलों ने दुश्मनों को हैरान कर दिया। विशेष रूप से, जिनजी का किला, जो सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था, शिवाजी की रणनीति का शिकार बना। उन्होंने स्थानीय लोगों का विश्वास जीता और अपनी सेना को अभेद्य बनाया।
Also read- https://www.btnewsindia.com/ढाई-साल-की-शिवांगी-के-लिए-उ/ https://www.btnewsindia.com/ऑपरेशन-क्रैकडाउन-की-बड़ी/
तमिलनाडु में शिवाजी का परचम:
शिवाजी महाराज का तमिलनाडु अभियान उनकी दूरदर्शिता का एक और उदाहरण है। 1677 में, उन्होंने तंजावुर और मदुरै के क्षेत्रों में अपनी सेना भेजी। उनकी रणनीति थी – दुश्मन को कमजोर करना, स्थानीय शासकों के साथ गठबंधन करना और तेजी से हमला करना। वेल्लोर के किले पर कब्जा उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक था। इस अभियान में शिवाजी ने न केवल सैन्य शक्ति दिखाई, बल्कि स्थानीय संस्कृति और लोगों का सम्मान कर उनके दिल भी जीते।
क्यों खास है यह गाथा?
शिवाजी महाराज की यह दक्षिण विजय इसलिए अनूठी है क्योंकि उन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद, अपनी बुद्धिमत्ता, साहस और रणनीति से विशाल साम्राज्यों को चुनौती दी। उनकी गोरिल्ला युद्ध शैली, स्थानीय लोगों के साथ सहयोग और दुर्गम किलों पर विजय आज भी रणनीति के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा है।
निष्कर्ष:
छत्रपति शिवाजी महाराज की यह अनकही कहानी हमें सिखाती है कि साहस और बुद्धि के बल पर कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। उनकी दक्षिण विजय की गाथा न केवल इतिहास का हिस्सा है, बल्कि यह हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।