पुलिस ने निकाली गुंडों की बारात
पैदल घुमाया शहर में
Published on: May 26, 2025
By: BTI
Location: Raipur, India
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल, डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल (मेकाहारा) में गुंडागर्दी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। अस्पताल में तैनात बाउंसरों द्वारा पत्रकारों के साथ मारपीट और बदसलूकी की घटना ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया। इस घटना के बाद रायपुर पुलिस ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर उनकी अनोखे अंदाज में ‘बारात’ निकाली और शहर में पैदल घुमाया।

क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, मेकाहारा अस्पताल में खस्ताहाल व्यवस्थाओं और कथित लापरवाही की खबरें कवर करने गए कुछ पत्रकारों के साथ वहां तैनात बाउंसरों ने न केवल बदतमीजी की, बल्कि उनके साथ मारपीट भी की। सूत्रों का कहना है कि ये बाउंसर अस्पताल के भीतर अनियमितताओं को छिपाने के लिए तैनात किए गए थे, ताकि कोई भी खबर बाहर न जा सके। पत्रकारों ने जब इस घटना की शिकायत पुलिस से की, तो मामला तूल पकड़ गया। सोशल मीडिया पर भी इस घटना की तीखी आलोचना हुई, जहां लोगों ने छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था और पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल उठाए।
पुलिस ने दिखाई सख्ती, निकाली ‘बदमाशों की बारात’
घटना की गंभीरता को देखते हुए रायपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। पुलिस ने मारपीट करने वाले बाउंसरों को गिरफ्तार किया और उन्हें सबक सिखाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया। आरोपियों को आधा सिर मुंडवाकर, उनके गले में ‘मैं गुंडा हूं’ जैसे नारे लिखे तख्तियां लटकाई…
छत्तीसगढ़ के मेकाहारा अस्पताल में पत्रकारों के साथ गुंडागर्दी और मारपीट की घटना को लेकर जनता की प्रतिक्रिया काफी तीखी और आक्रोशित है। सोशल मीडिया, खासकर X पर लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इसे राज्य में कानून-व्यवस्था की विफलता और पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल के रूप में देखा है। कुछ प्रमुख जनप्रतिक्रियाएं इस प्रकार हैं:
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पत्रकारों और प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल: कई यूजर्स ने इस घटना को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया। उदाहरण के लिए, एक यूजर ने लिखा, “पत्रकारों से मारपीट करने वाले बाउंसर या गुंडे? हम डरेंगे नहीं, सवाल पूछते रहेंगे!” यह दर्शाता है कि लोग इसे प्रेस को दबाने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।
कानून-व्यवस्था पर नाराजगी: जनता ने छत्तीसगढ़ की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। एक पोस्ट में कहा गया, “भाजपा की डबल इंजन सरकार में छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था पूरी तरह भगवान भरोसे है!” यह दर्शाता है कि लोग इस घटना को सरकार की नाकामी से जोड़ रहे हैं।
पुलिस की निष्क्रियता पर आक्रोश: लोगों ने पुलिस की मूकदर्शक भूमिका की आलोचना की। एक यूजर ने लिखा, “पुलिस वहीं मौजूद थी, लेकिन मूकदर्शक बनी रही।” यह जनता में पुलिस के रवैये के प्रति गुस्से को दर्शाता है।
सिस्टम और अस्पताल प्रबंधन पर सवाल: कई लोगों ने अस्पताल में बाउंसरों की तैनाती और प्रबंधन की चुप्पी पर सवाल उठाए। एक पोस्ट में कहा गया, “सालों से एक ही कंपनी को ठेका, सवाल सिर्फ बाउंसरों पर नहीं, सिस्टम पर भी है।” यह दर्शाता है कि जनता इस घटना को गहरी सांठगांठ और व्यवस्थागत खामियों से जोड़ रही है।
विपक्ष का दबाव: विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इस घटना को ‘गुंडाराज’ करार दिया और इसे सरकार के खिलाफ मुद्दा बनाया। एक पोस्ट में लिखा गया, “मेकाहारा में बाउंसरों का कहर है, खस्ता हाल व्यवस्थाओं को ठीक करने की बजाए गुंडे पाल लिए गए।” यह विपक्ष की ओर से जनता की भावनाओं को भुनाने की कोशिश को दर्शाता है।
सामान्य जनता की चिंता: कुछ लोगों ने अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों के साथ बाउंसरों की बदसलूकी की शिकायतों को भी उठाया। एक यूजर ने लिखा, “मेकाहारा अस्पताल के सिक्योरिटी की बहुत शिकायतें रहती हैं, मरीजों और परिजनों के साथ बदसलूकी आम है।” यह दर्शाता है कि यह घटना सिर्फ पत्रकारों तक सीमित नहीं, बल्कि आम लोगों की समस्याओं को भी उजागर करती है।
कुल मिलाकर, जनता में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। लोग इसे न केवल पत्रकारों पर हमले के रूप में देख रहे हैं, बल्कि यह अस्पताल की खराब व्यवस्थाओं, सरकारी नाकामी और प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरे के रूप में भी देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर तीखी बहस जारी है, जहां कुछ लोग पुलिस की ‘बदमाशों की बारात’ कार्रवाई की तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ इसे अपर्याप्त और दिखावटी बता रहे हैं।