शाह ने कहा, नेहरू की नीतियों के कारण भारत को नहीं मिली UNSC की स्थायी सदस्यता, चीन को मिला अवसर
Published on: July 29, 2025
By: [BTNI]
Location: New Delhi, India
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक तीखे बयान में भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता न मिलने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया। शाह ने दावा किया कि नेहरू की विदेश नीति के कारण भारत को यह महत्वपूर्ण अवसर गंवाना पड़ा, जिसका फायदा उठाकर चीन UNSC का स्थायी सदस्य बन गया।संसद के मानसून सत्र के दौरान एक चर्चा में शाह ने कहा, “जब UNSC का गठन हो रहा था, तब भारत के पास स्थायी सदस्यता हासिल करने का सुनहरा अवसर था।
लेकिन नेहरू जी की नीतियों और उनके निर्णयों ने भारत को इस वैश्विक मंच से दूर रखा, जबकि चीन को यह स्थान मिल गया।” उन्होंने जोर देकर कहा कि नेहरू का “आदर्शवादी दृष्टिकोण” और “चीन के प्रति नरम रुख” भारत के लिए नुकसानदायक साबित हुआ।शाह ने आगे कहा कि भारत आज वैश्विक मंच पर अपनी ताकत और प्रभाव का लोहा मनवा रहा है, लेकिन UNSC में स्थायी सीट न होना भारत की कूटनीतिक क्षमता को सीमित करता है।
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उन्होंने वर्तमान सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने G20, SCO और अन्य वैश्विक मंचों पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। हम UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, और जल्द ही भारत को उसका उचित स्थान मिलेगा।”गृह मंत्री ने यह भी कहा कि नेहरू की नीतियों ने न केवल UNSC की सदस्यता के मामले में भारत को पीछे किया, बल्कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी उनकी “गलत रणनीति” का खामियाजा देश को भुगतना पड़ा।
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग आज भी उसी पुरानी मानसिकता को बढ़ावा देते हैं, जो भारत के हितों के खिलाफ है।यह बयान विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिन्होंने शाह के दावों को “ऐतिहासिक तथ्यों का गलत चित्रण” करार दिया। कांग्रेस प्रवक्ता ने जवाब में कहा कि नेहरू ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की नींव रखी और वैश्विक मंच पर भारत को एक सम्मानजनक स्थान दिलाया।
शाह का यह बयान न केवल ऐतिहासिक फैसलों पर बहस को हवा देता है, बल्कि भारत की UNSC में स्थायी सदस्यता की मांग को और मजबूती प्रदान करता है। यह चर्चा आने वाले दिनों में और गर्माने की संभावना है, क्योंकि भारत वैश्विक कूटनीति में अपनी स्थिति को और सशक्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।