सरकार की आतंकवाद विरोधी नीति की सराहना पर कांग्रेस नेताओं का हमला, थरूर बोले – “राष्ट्रीय हित में बोलना गुनाह नहीं”
Published on: May 29, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। उनके हालिया बयानों और केंद्र सरकार की नीतियों की तारीफ को लेकर कांग्रेस के ही कुछ नेताओं ने उन्हें “बीजेपी का सुपर प्रवक्ता” करार दिया है। खासकर, ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार के रुख की सराहना करने पर कांग्रेस नेता उदित राज ने थरूर पर तीखा हमला बोला है।
क्या है विवाद?
भारत सरकार ने हाल ही में पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने के लिए सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजा था। इनमें से एक का नेतृत्व शशि थरूर कर रहे थे। थरूर ने न्यूयॉर्क में भारत के आतंकवाद विरोधी रुख और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “भारत ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत और सुनियोजित जवाब दिया, जिससे देश की एकता और दृढ़ता का संदेश गया।”
इसके जवाब में कांग्रेस नेता उदित राज ने तंज कसते हुए कहा, “शशि थरूर बीजेपी के सुपर प्रवक्ता बन गए हैं। जो बात बीजेपी नेता नहीं कह रहे, वह थरूर बोल रहे हैं। क्या उन्हें पहले की कांग्रेस सरकारों की कार्रवाइयों की जानकारी भी है?” उदित राज ने 1965 और 1971 के युद्धों का जिक्र करते हुए दावा किया कि कांग्रेस सरकारों ने भी सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक की थीं, जिसे थरूर नजरअंदाज कर रहे हैं।
कांग्रेस में असहजता

थरूर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल को शामिल करने पर भी कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी। पार्टी ने दावा किया कि उन्होंने थरूर का नाम प्रस्तावित नहीं किया था, फिर भी केंद्र सरकार ने उन्हें एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, “हमने चार अन्य सांसदों के नाम दिए थे, लेकिन सरकार ने अपनी मर्जी से थरूर को चुना।” इस फैसले ने पार्टी के भीतर तनाव को और बढ़ा दिया।
कुछ नेताओं का मानना है कि थरूर की केंद्र सरकार और पीएम मोदी की तारीफ, जैसे कि उनकी अमेरिका यात्रा और केरल की एलडीएफ सरकार की नीतियों की प्रशंसा, कांग्रेस की आधिकारिक लाइन से हटकर है। इससे यह चर्चा तेज हो गई है कि थरूर बीजेपी के करीब जा रहे हैं। X पर कुछ यूजर्स ने तो यह तक कयास लगाया कि बीजेपी थरूर को अपनी पार्टी में शामिल कर विदेश मंत्री बना सकती है।
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थरूर का जवाब
थरूर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “मैं बीजेपी के लिए काम नहीं करता। जो लोग मुझे बीजेपी का प्रवक्ता कह रहे हैं, वे पहले बीजेपी में थे, उन्हें इसकी बेहतर समझ होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर वह हमेशा देश के साथ खड़े रहेंगे, चाहे वह किसी भी पार्टी की सरकार हो।
पार्टी में बढ़ती दूरी
थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच मतभेद कोई नई बात नहीं हैं। 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ चुनाव लड़ने, ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस से हटाए जाने, और केरल में उनकी भूमिका को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि थरूर की बेबाकी और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी प्रभावशाली मौजूदगी कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन पार्टी नेतृत्व उनकी स्वतंत्र राय को पचा नहीं पा रहा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई का कहना है, “थरूर जैसे नेता कांग्रेस के लिए एक एसेट हैं। उनकी वैश्विक पहचान और कूटनीतिक अनुभव का फायदा पार्टी को मिल सकता है, बशर्ते नेतृत्व उनकी स्वतंत्र सोच को स्वीकार करे।” वहीं, कुछ का मानना है कि थरूर के बयानों से 2026 के केरल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
आगे क्या?
थरूर की सियासी नाव किस दिशा में जाएगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया है कि अगर थरूर कांग्रेस छोड़ते हैं, तो सीपीआई(एम) उन्हें स्वागत करने को तैयार है। हालांकि, थरूर ने अभी तक पार्टी छोड़ने के संकेत नहीं दिए हैं, लेकिन उनकी नाराजगी और पार्टी नेतृत्व की अनदेखी से यह सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस एक और बड़े नेता को खोने की कगार पर है।