“पहले हर साल किताबों पर 5,000-7,000 रुपये खर्च किन्तु अब 1,000-2,000 रुपये
Published on: May 30, 2025
By: BTNI
Location: Jabalpur, India
जिला प्रशासन ने शिक्षा के क्षेत्र में निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शहर के सभी निजी और सरकारी स्कूलों को निर्देश जारी किया है कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 में NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) की पाठ्यपुस्तकों को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए। इस फरमान का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना और अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ को कम करना है।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से गैर-NCERT पुस्तकें लागू करने और अभिभावकों से महंगी किताबें खरीदने का दबाव बनाने की शिकायतें मिल रही थीं। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा, “NCERT की पुस्तकें राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के अनुरूप हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करती हैं। हमारा लक्ष्य है कि सभी छात्रों को एक समान और किफायती शिक्षा मिले।”
पालकों में उत्साह, उठे सवाल भी
इस निर्णय का जबलपुर के अभिभावकों ने स्वागत किया है। पालक संघ के प्रतिनिधि राजेश तिवारी ने कहा, “यह कदम अभिभावकों के लिए बड़ी राहत है। निजी स्कूलों की मनमानी के कारण हमें हर साल महंगी किताबें खरीदनी पड़ती थीं। अब NCERT की किताबों से पढ़ाई होने पर लागत कम होगी और बच्चों को मानक पाठ्य सामग्री मिलेगी।” हालांकि, कुछ पालकों ने चिंता जताई कि स्कूल इस आदेश का पालन कैसे करेंगे और क्या सभी कक्षाओं के लिए NCERT की किताबें समय पर उपलब्ध होंगी।

नकली NCERT किताबों पर सख्ती
इसके साथ ही, कलेक्टर ने नकली NCERT किताबों की बिक्री पर भी सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में शहर में नकली NCERT किताबों की बिक्री को लेकर पालकों ने शिकायत की थी, जिसके बाद कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने पुस्तक विक्रेताओं को चेतावनी दी कि नकली किताबें बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस संदर्भ में जिला प्रशासन ने पुस्तक मेले का आयोजन भी किया, जहां बुक बैंक के माध्यम से जरूरतमंद छात्रों को रियायती दरों पर NCERT की किताबें उपलब्ध कराई गईं।
पुस्तक मेले की सफलता से प्रेरणा
जबलपुर में पिछले दो वर्षों से आयोजित पुस्तक मेला इस दिशा में एक अनुकरणीय पहल साबित हुआ है। 25 मार्च से 5 अप्रैल 2025 तक शहीद स्मारक, गोल बाजार में आयोजित इस मेले में NCERT की किताबें, कॉपियां, और यूनिफॉर्म सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए गए। जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने बताया कि बुक बैंक में पुराने छात्रों द्वारा दान की गई किताबें जरूरतमंद बच्चों को मात्र 100-200 रुपये में उपलब्ध कराई गईं, जिससे अभिभावकों को आर्थिक राहत मिली।
स्कूलों पर नकेल, कार्रवाई का डर
कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि जो स्कूल NCERT की किताबें लागू करने में आनाकानी करेंगे या अभिभावकों पर गैर-जरूरी किताबें खरीदने का दबाव बनाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पिछले साल भी जिला प्रशासन ने 11 निजी स्कूलों पर 81.30 करोड़ रुपये की अनावश्यक फीस वसूली के लिए FIR दर्ज की थी और 20 लोगों को गिरफ्तार किया था। इस बार भी प्रशासन ने स्कूलों को चेतावनी दी है कि नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई होगी।
शिक्षकों और स्कूलों की प्रतिक्रिया
कई स्कूल प्रबंधकों ने इस आदेश का समर्थन किया है, लेकिन कुछ ने NCERT की किताबों की उपलब्धता और शिक्षकों के प्रशिक्षण को लेकर चिंता जताई है। एक निजी स्कूल के प्राचार्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “NCERT की किताबें अच्छी हैं, लेकिन कुछ कक्षाओं के लिए नई किताबें समय पर नहीं मिल पा रही हैं, जिससे शिक्षण प्रभावित हो सकता है।”
उल्लेखनीय है कि जबलपुर में कलेक्टर के NCERT पुस्तकें अनिवार्य करने के फरमान से पहले, कई निजी स्कूल अभिभावकों पर अन्य प्रकाशनों (जैसे निजी प्रकाशकों की किताबें) खरीदने का दबाव बना रहे थे। यह प्रवृत्ति न केवल जबलपुर में, बल्कि मध्य प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में भी देखी गई है। निम्नलिखित बिंदु इसकी पुष्टि करते हैं:
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निजी स्कूलों की मनमानी:
जबलपुर में कई निजी स्कूल NCERT की बजाय निजी प्रकाशकों (जैसे प्राइवेट पब्लिशर्स, विद्या, रत्न सागर, या अन्य स्थानीय प्रकाशन) की पुस्तकें लागू करते थे। ये किताबें अक्सर NCERT की तुलना में अधिक महंगी होती थीं, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड़ता था।
समाचारों और शिकायतों के अनुसार, निजी स्कूल इन किताबों को स्कूल के भीतर या विशिष्ट दुकानों से खरीदने का दबाव बनाते थे, जहां कमीशन का खेल भी शामिल होता था। उदाहरण के लिए, जबलपुर में पिछले कुछ वर्षों में अभिभावकों ने शिकायत की थी कि स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें अनिवार्य कर रहे थे, जिनकी कीमत NCERT की किताबों से 2-3 गुना अधिक थी।
कलेक्टर के फरमान का संदर्भ:
कलेक्टर दीपक सक्सेना के NCERT पुस्तकें लागू करने के आदेश (जैसा कि पिछले समाचार में उल्लेखित) का मुख्य कारण यही था कि निजी स्कूलों की इस मनमानी को रोका जाए। आदेश में स्पष्ट किया गया कि NCERT की किताबें राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के अनुरूप, किफायती, और गुणवत्तापूर्ण हैं, जबकि निजी प्रकाशकों की किताबें अक्सर अनावश्यक रूप से महंगी होती हैं।
फरमान से पहले, कुछ स्कूलों ने न केवल दूसरी किताबें खरीदने का दबाव बनाया, बल्कि अतिरिक्त गाइड बुक, वर्कबुक, और अभ्यास पुस्तकें भी अनिवार्य कीं, जो निजी प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित होती थीं।
पालकों की शिकायतें:
जबलपुर के अभिभावकों ने अक्सर स्थानीय प्रशासन और पालक संघों के सामने यह मुद्दा उठाया कि निजी स्कूल NCERT की किताबों को नजरअंदाज कर निजी प्रकाशकों की किताबें थोप रहे थे। उदाहरण के लिए, एक सामान्य शिकायत थी कि स्कूल विशिष्ट दुकानों से किताबें खरीदने के लिए कहते थे, जहां NCERT की किताबें उपलब्ध ही नहीं होती थीं।
कुछ मामलों में, स्कूलों ने दावा किया कि निजी प्रकाशकों की किताबें “बेहतर” या “आधुनिक” हैं, लेकिन अभिभावकों का कहना था कि इन किताबों का स्तर NCERT से बहुत अलग नहीं होता, और यह केवल आर्थिक शोषण का तरीका है।
नकली NCERT किताबों का मुद्दा:
कलेक्टर के आदेश के बाद भी, कुछ स्कूलों ने NCERT की किताबों की आड़ में नकली या गैर-मानक किताबें बेचने की कोशिश की। यह भी एक कारण था कि जिला प्रशासन ने नकली किताबों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी और पुस्तक मेलों का आयोजन शुरू किया।
हाल की कार्रवाइयां:
कलेक्टर के फरमान के बाद, जिला प्रशासन ने निजी स्कूलों की निगरानी बढ़ा दी है। पिछले साल, जबलपुर में 11 निजी स्कूलों के खिलाफ अनावश्यक फीस और किताबों की खरीद के लिए दबाव बनाने के आरोप में FIR दर्ज की गई थी। इस साल भी, NCERT आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
पुस्तक मेले (25 मार्च-5 अप्रैल 2025, शहीद स्मारक, गोल बाजार) जैसे आयोजनों ने यह सुनिश्चित किया कि अभिभावकों को NCERT की मूल किताबें रियायती दरों पर मिलें, ताकि निजी प्रकाशकों की किताबों पर निर्भरता कम हो।
पालकों की प्रतिक्रिया
सकारात्मक प्रतिक्रिया: अधिकांश अभिभावकों ने कलेक्टर के इस फैसले का स्वागत किया, क्योंकि इससे उनकी आर्थिक बचत हो रही है। एक अभिभावक, अनिता शर्मा, ने कहा, “पहले हमें हर साल 5,000-7,000 रुपये की किताबें खरीदनी पड़ती थीं, जो NCERT की किताबों से कहीं ज्यादा महंगी थीं। अब NCERT की किताबें 1,000-2,000 रुपये में मिल जाती हैं।”
चिंताएं: कुछ अभिभावकों ने आशंका जताई कि निजी स्कूल इस आदेश को पूरी तरह लागू नहीं करेंगे या NCERT की किताबों के साथ-साथ अन्य गाइड बुक खरीदने का दबाव बनाएंगे। इसके अलावा, कुछ स्कूलों में NCERT की किताबों की उपलब्धता समय पर सुनिश्चित न होने की शिकायतें भी सामने आई हैं।
निष्कर्ष
हां, जबलपुर के निजी स्कूल कलेक्टर के फरमान से पहले अभिभावकों पर NCERT के अलावा अन्य निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने का दबाव बना रहे थे। यह अभ्यास न केवल महंगा था, बल्कि कई बार कमीशन और अनुचित व्यापारिक गतिविधियों से भी जुड़ा था। कलेक्टर के NCERT पुस्तकें अनिवार्य करने के आदेश ने इस प्रथा पर अंकुश लगाने की कोशिश की है, लेकिन इसके पूर्ण कार्यान्वयन के लिए स्कूलों की निगरानी और किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है।