"कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की तस्वीरें साझा कर भारत की नारी शक्ति को किया सलाम, कहा- यही है असली भारत की तस्वीर"
Published on: May 09, 2025
By: BTI
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत ने एक प्रेस कांफ्रेंस में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया, जिसमें पहली बार महिला सैन्य अधिकारियों ने नेतृत्व संभाला।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, भारत की पूर्व टेनिस स्टार संनिया मिर्ज़ा ने एक ऐसा संदेश दिया, जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। उन्होंने पत्रकार फेय डीसूजा की एक इंस्टाग्राम पोस्ट साझा की, जिसमें कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री साथ नजर आ रहे हैं।
संनिया ने इस फोटो के साथ लिखा –

“इस बेहद प्रभावशाली तस्वीर में जो संदेश छिपा है, वह हमारे राष्ट्र की असली पहचान को दर्शाता है।”
संनिया मिर्ज़ा, जो दो दशक से अधिक समय तक अंतरराष्ट्रीय टेनिस कोर्ट पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं, का यह कदम इस बात का प्रतीक है कि देश के प्रति प्रेम केवल सीमा पर ही नहीं, हर मंच पर दिखाया जा सकता है।
गौरतलब है कि संनिया की शादी पाकिस्तान के क्रिकेटर शोएब मलिक से हुई थी, लेकिन उन्होंने हमेशा भारत के हित और संप्रभुता का समर्थन किया है।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह?
कर्नल सोफिया कुरैशी, भारतीय सेना की ‘कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स’ की एक अनुभवी और सम्मानित अधिकारी हैं। 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के ऐतिहासिक फैसले में उनका नाम अग्रणी था। वह एक मिसाल हैं, जो बताती हैं कि भारतीय सेना में महिलाएं न केवल सेवा कर रही हैं, बल्कि नेतृत्व भी कर रही हैं।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह, भारतीय वायुसेना की एक हेलीकॉप्टर पायलट हैं। उनके नाम ‘व्योमिका’ का अर्थ होता है – ‘आकाश में रहने वाली’, और उन्होंने अपने नाम के अनुरूप ही जीवन जीया है। बचपन से ही आसमान को छूने की तमन्ना रखने वाली व्योमिका ने एनसीसी के जरिए सेना में प्रवेश की तैयारी की और फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर वायुसेना में शामिल हुईं।
प्रेस कांफ्रेंस में दोनों महिला अधिकारियों ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर करारा जवाब देते हुए भारत का पक्ष मजबूती से रखा। यह दृश्य अपने-आप में ऐतिहासिक था – जहां एक ओर सैन्य ताकत दिख रही थी, वहीं दूसरी ओर महिला नेतृत्व का निडर और स्पष्ट स्वरूप सामने आया।
निष्कर्ष:
देशभक्ति केवल युद्ध के मैदान तक सीमित नहीं होती। चाहे वो टेनिस कोर्ट हो, एयरफोर्स का कॉकपिट हो, या फिर प्रेस कांफ्रेंस का मंच – भारत की बेटियां हर मोर्चे पर डटी हुई हैं। और संनिया मिर्ज़ा का यह कदम उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा रखते हैं।