कल्याण-डोंबिवली में शिवसेना (यूबीटी) की कार्रवाई, आलोचकों ने उठाए हिंदू आस्था पर सवाल
Published on: August 17, 2025
By: [BTNI]
Location: Kalyan, India
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर कल्याण-डोंबिवली नगर निगम (केडीएमसी) द्वारा लगाए गए मांस बिक्री और बूचड़खानों पर प्रतिबंध के विरोध में एक विवादास्पद कदम उठाया है। पार्टी ने शुक्रवार को मुफ्त चिकन वितरण कार्यक्रम आयोजित किया, जिसने न केवल सियासी हलकों में हलचल मचा दी, बल्कि हिंदू आस्था और परंपराओं को लेकर भी तीखी बहस छेड़ दी।
यह कार्यक्रम कल्याण-डोंबिवली में आयोजित किया गया, जहां केडीएमसी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मांस की दुकानों और बूचड़खानों को बंद करने का आदेश जारी किया था। यह आदेश 1988 के एक सरकारी प्रस्ताव पर आधारित था, जो कुछ खास अवसरों पर मांस बिक्री पर रोक लगाता है। शिवसेना (यूबीटी) ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला करार देते हुए विरोध प्रदर्शन के रूप में चिकन बांटने का फैसला किया।

शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, “हमारे खाने का फैसला हमारा अधिकार है। कोई हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना है। यह न तो धर्म का सवाल है और न ही राष्ट्रीय हित का।” उन्होंने केडीएमसी आयुक्त की निलंबन की मांग भी की। इस बीच, पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर मुफ्त चिकन बांटकर इस आदेश का खुला विरोध किया, जिसे कई लोगों ने कृष्ण जन्माष्टमी जैसे पवित्र अवसर पर आपत्तिजनक बताया।
आलोचकों ने इस कदम को ‘वोटबैंक की राजनीति’ और हिंदू भावनाओं का अपमान करार दिया है। स्थानीय निवासी और कुछ संगठनों ने दावा किया कि जन्माष्टमी जैसे धार्मिक अवसर पर मांस वितरण करना हिंदू परंपराओं का अनादर है। एक स्थानीय नागरिक ने कहा, “यह धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। स्वतंत्रता का मतलब परंपराओं का अपमान नहीं है।”दूसरी ओर, शिवसेना (यूबीटी) ने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद के अधिकार की रक्षा के लिए है। पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हमारी परंपराओं में मछली और झींगे का प्रसाद भी शामिल है। यह हमारा हिंदुत्व है। हम किसी के खाने की पसंद पर पाबंदी नहीं मानते।”
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इस घटना ने महाराष्ट्र की सियासत में नया तूफान खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विवाद को “अनावश्यक” बताते हुए कहा कि यह आदेश 1988 से लागू है और तब भी, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, इसे लागू किया गया था। वहीं, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इस प्रतिबंध को गलत ठहराया और कहा कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसरों पर ऐसी पाबंदियां उचित नहीं हैं।
कल्याण-डोंबिवली में इस कार्यक्रम के दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, और कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। यह विवाद अब धार्मिक संवेदनाओं, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सियासी रणनीति के बीच जटिल बहस का रूप ले चुका है। जनता और राजनीतिक दलों की नजर अब इस बात पर है कि सरकार और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।