कांग्रेस और हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच कथित सांठगांठ का दावा
Published on: April 29, 2025
By: Purushottam Tiwari
Location: New Delhi, India
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने एक चौंकाने वाला दावा किया है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इसके वरिष्ठ नेता राहुल गांधी पर अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के साथ मिलकर उद्योगपति गौतम अडानी और उनके कारोबारी समूह को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया है। इस खुलासे ने भारतीय राजनीति और कॉरपोरेट जगत में हलचल मचा दी है।
स्पूतनिक इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मोसाद ने ‘ऑपरेशन जेपलिन’ नामक एक गुप्त अभियान के तहत यह जांच शुरू की थी। इस ऑपरेशन में भारतीय ओवरसीज कांग्रेस (IOC) के प्रमुख और राहुल गांधी के करीबी सहयोगी सैम पित्रोदा के अमेरिका स्थित होम सर्वर को निशाना बनाया गया। मोसाद का दावा है कि इस दौरान एन्क्रिप्टेड चैटरूम्स और गुप्त बैकचैनल कम्युनिकेशंस के जरिए राहुल गांधी और हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच समन्वय के सबूत मिले हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कथित सांठगां sebebi: करने का उद्देश्य अडानी समूह को वित्तीय और राजनीतिक रूप से कमजोर करना था, जिसका असर अप्रत्यक्ष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की छवि पर भी पड़ता। हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में अडानी समूह पर शेयर हेरफेर, जटिल अकाउंटिंग प्रथाओं और विदेशी शेल कंपनियों के उपयोग जैसे गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई और कंपनी को लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मोसाद ने अपनी जांच में दावा किया कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत की अर्थव्यवस्था और रणनीतिक हितों को कमजोर करने की साजिश मानते हुए इस ऑपरेशन को शुरू करने का आदेश दिया था। जांच के दौरान हिंडनबर्ग के न्यूयॉर्क कार्यालय, इसके संस्थापक नाथन एंडरसन और उनके डिजिटल संचार पर कड़ी निगरानी रखी गई। इसके अलावा, मई 2023 में कैलिफोर्निया के पालो ऑल्टो में राहुल गांधी और हिंडनबर्ग के कथित सहयोगियों के बीच एक बैठक की भी निगरानी की गई।
हालांकि, इस खुलासे की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि यह मुख्य रूप से सोशल मीडिया पोस्ट्स और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। मनीकंट्रोल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है। साथ ही, कांग्रेस पार्टी या राहुल गांधी की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद
इस दावे ने भारतीय राजनीति में तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे कांग्रेस के खिलाफ एक बड़े खुलासे के रूप में प्रचारित किया है, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक साजिश और अनुचित दुष्प्रचार करार दिया है। कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि बिना ठोस सबूतों के इस तरह के गंभीर आरोप लगाना विपक्ष को बदनाम करने की कोशिश है।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि ये दावे सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय राजनीति में एक बड़ा भूचाल ला सकता है। दूसरी ओर, बिना आधिकारिक पुष्टि के इसे सनसनीखेज अफवाह के रूप में भी देखा जा रहा है।
अडानी समूह का पक्ष
अडानी समूह ने पहले ही हिंडनबर्ग की 2023 की रिपोर्ट को आधारहीन करार देते हुए सभी आरोपों को खारिज किया था। समूह का कहना है कि उनकी व्यावसायिक प्रथाएं पारदर्शी हैं और वे सभी नियामक मानकों का पालन करते हैं।
आगे क्या?
यह मामला अभी प्रारंभिक चरण में है और इसकी सत्यता की पुष्टि के लिए स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। मोसाद जैसे गोपनीय संगठन की ओर से इस तरह के दावों का सार्वजनिक होना असामान्य है, जिसके कारण कई लोग इसे संदेह की नजर से देख रहे हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियां और नियामक संस्थाएं इस मामले पर अपनी नजर रखे हुए हैं।
कांग्रेस से इस मुद्दे पर जल्द ही जवाब की उम्मीद की जा रही है। तब तक, यह खुलासा राजनीतिक और आर्थिक चर्चाओं का केंद्र बना रहेगा।
उल्लेखनीय है कि इस खबर में दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स पर आधारित है। इनकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।