देश की प्रगति के प्रतीक पर हमले बढ़े, यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे की चिंता बढ़ी
Published on: September 01, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
भारत की सबसे आधुनिक और तेज रफ्तार ट्रेन, वंदे भारत एक्सप्रेस, एक ओर देश की प्रगति और तकनीकी उन्नति का प्रतीक बनकर उभरी है, तो दूसरी ओर यह कुछ असामाजिक तत्वों के निशाने पर भी आ रही है। हाल के महीनों में वंदे भारत ट्रेनों पर पथराव की घटनाएँ बार-बार सामने आ रही हैं, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे की संपत्ति को नुकसान होने की चिंता बढ़ गई है। इस बीच, कुछ लोग इस ट्रेन को देश की शान मानकर इसकी प्रशंसा में पूजा तक कर रहे हैं, जबकि कुछ समूहों पर इस प्रतीक को निशाना बनाने का आरोप लग रहा है।
वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में लॉन्च किया था, अपनी गति, सुविधाओं और स्वदेशी तकनीक के लिए जानी जाती है। यह ट्रेन 130% की औसत ऑक्यूपेंसी दर के साथ भारतीय रेलवे की सबसे लाभकारी सेवाओं में से एक है। हालाँकि, 2019 से अब तक, इस ट्रेन पर पथराव की घटनाओं ने रेलवे को 55.60 लाख रुपये से अधिक का नुकसान पहुँचाया है। हाल की घटनाओं में, भगालपुर-हावड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस पर हटपुरैनी हॉल्ट के पास पथराव हुआ, जिसमें कोच नंबर C2 की खिड़की का शीशा टूट गया। इसी तरह, पटना-टाटानगर वंदे भारत पर झारखंड के कोडरमा के पास पथराव में दो कोच की खिड़कियाँ क्षतिग्रस्त हुईं।
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और स्थानीय पुलिस ने इन घटनाओं की जाँच शुरू कर दी है। मालदा डिवीजन के DRM मनीष कुमार गुप्ता ने कहा, “हम CCTV फुटेज की समीक्षा कर रहे हैं और दोषियों को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पथराव एक गंभीर अपराध है, जो यात्रियों की जान को खतरे में डालता है।” रेलवे ने ‘ऑपरेशन साथी’ जैसे जागरूकता अभियानों के माध्यम से रेल पटरियों के आसपास बस्तियों में लोगों को इस तरह की गतिविधियों के दुष्परिणामों के बारे में शिक्षित करने की कोशिश की है। फिर भी, ऐसी घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
पथराव की इन घटनाओं ने न केवल रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुँचाया है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग वंदे भारत को भारत की प्रगति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक मानते हैं और इसकी प्रशंसा में उत्साह दिखाते हैं। कुछ स्थानों पर, स्थानीय समुदायों ने ट्रेन के स्वागत में पूजा-अर्चना तक की है, इसे देश की शान और गर्व का विषय बताया है। वहीं, कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बार-बार पथराव की घटनाएँ न केवल रेलवे के लिए चुनौती बन रही हैं, बल्कि सामुदायिक स्तर पर भी सवाल उठा रही हैं।पिछले कुछ महीनों में, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल, और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में वंदे भारत ट्रेनों पर पथराव की घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में 20 वर्षीय फिरोज खान को पथराव के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जिसने पूछताछ में बताया कि उसने “मजाक” के लिए पत्थर फेंके। कर्नाटक में एक ही दिन में तीन वंदे भारत ट्रेनों पर पथराव की घटनाएँ हुईं, जिसमें कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, लेकिन RPF ने जाँच तेज कर दी।
इन घटनाओं ने यात्रियों के बीच डर का माहौल पैदा किया है। एक यात्री, विमल मोहन, ने कहा, “यह निराशाजनक है। तेज गति से चलने वाली ट्रेन में क्षतिग्रस्त खिड़की किसी भी समय टूट सकती है, जो सुरक्षा के लिए खतरा है।” रेलवे अधिकारियों ने पथराव को रोकने के लिए ट्रेनों में CCTV कैमरे लगाने और पटरियों के आसपास निगरानी बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं। साथ ही, स्थानीय समुदायों से सहयोग की अपील की गई है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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इस बीच, कुछ लोगों का मानना है कि पथराव की घटनाएँ केवल शरारत नहीं, बल्कि संगठित हो सकती हैं। कुछ ऑनलाइन मंचों पर चर्चा में दावा किया गया कि वंदे भारत, जो मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना का प्रतीक है, को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। हालाँकि, रेलवे अधिकारियों ने इसे मुख्य रूप से किशोरों और युवाओं की शरारत बताया है, जिनमें से कई को गिरफ्तार किया गया है।
निष्कर्ष: वंदे भारत एक्सप्रेस भारत की प्रगति और तकनीकी क्षमता का प्रतीक है, जिसे एक ओर पूजा जाता है, तो दूसरी ओर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। रेलवे और स्थानीय प्रशासन इन घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं, लेकिन समाज के सहयोग के बिना यह चुनौती हल नहीं हो सकती। यह समय है कि सभी समुदाय मिलकर इस राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करें और देश की प्रगति में योगदान दें।