भारत की आधुनिकता और तकनीकी प्रगति का प्रतीक वंदे भारत एक्सप्रेस एक ओर लोगों की आस्था और गर्व का केंद्र बनी है, तो दूसरी ओर बार-बार पथराव की घटनाओं से चुनौतियों का सामना कर रही है। हाल के महीनों में कई राज्यों में ट्रेनों पर पथराव से रेलवे संपत्ति को नुकसान और यात्रियों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ा है। कुछ लोग ट्रेन की पूजा-अर्चना कर इसे देश की शान मान रहे हैं, जबकि असामाजिक तत्वों की हरकतों ने गंभीर चिंता खड़ी कर दी है।
केंद्रीय कैबिनेट ने 5,451 करोड़ रुपये की लागत से इटारसी-नागपुर के बीच 297 किमी लंबी चौथी रेल लाइन परियोजना को मंजूरी दी है। यह परियोजना दिल्ली-चेन्नई और मुंबई-हावड़ा कॉरिडोर के इंटरसेक्शन पर रेल क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को आर्थिक और कनेक्टिविटी लाभ प्रदान करेगी।
चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में भारत की पहली 1,200 हॉर्सपावर वाली हाइड्रोजन ट्रेन का सफल परीक्षण किया गया है। यह शून्य-उत्सर्जन तकनीक भारत को हाइड्रोजन रेल तकनीक में अग्रणी देशों की श्रेणी में ला खड़ा करती है और हरित भविष्य की ओर एक बड़ा कदम है।
भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक नेताजी एक्सप्रेस अब नए LHB रैक के साथ यात्रियों को और अधिक सुरक्षित और आरामदायक सफर का अनुभव कराएगी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर समर्पित यह ट्रेन तकनीकी उन्नयन के साथ विरासत और आधुनिकता का प्रतीक बन गई है। थीम-आधारित सजावट और नई सुविधाओं से सुसज्जित यह ट्रेन अब और भी आकर्षक हो गई है।
वर्ल्ड एक्सपो 2025, ओसाका में भारत के चिनाब ब्रिज, अंजी खाद ब्रिज और वंदे भारत एक्सप्रेस ने भारतीय रेलवे की तकनीकी उत्कृष्टता और नवाचार का वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन किया। जम्मू-कश्मीर के इन इंजीनियरिंग चमत्कारों ने पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और भारत की आधुनिक एवं टिकाऊ परिवहन प्रणाली की छवि को और सशक्त किया।
ग्वालियर-बेंगलुरु एक्सप्रेस के शुभारंभ के साथ मध्य प्रदेश को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला एक नया परिवहन मार्ग मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुई यह सेवा ग्वालियर, गुना, भोपाल जैसे शहरों को बेंगलुरु से जोड़ते हुए छात्रों, पेशेवरों और व्यापारियों के लिए यात्रा को सुगम बनाएगी। यह कदम राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज – चिनाब ब्रिज – के निर्माण में प्रोफेसर जी. माधवी लता का योगदान अतुलनीय रहा है। बेंगलुरु की IISc में प्रोफेसर और प्रसिद्ध जियोटेक्निकल इंजीनियर माधवी लता ने दुर्गम और भूकंप-संभावित क्षेत्र में इस मेगा स्ट्रक्चर की नींव को संभव बनाया। उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तकनीकी विशेषज्ञता और 17 वर्षों की लगन, इस परियोजना को ऐतिहासिक सफलता तक पहुंचाने में निर्णायक रही। यह कहानी नारी शक्ति, विज्ञान और संकल्प की अनोखी मिसाल है।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जोधपुर रेलवे स्टेशन का निरीक्षण कर अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत चल रहे पुनर्विकास कार्यों की प्रगति का जायजा लिया और अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण व समयबद्ध निर्माण के निर्देश दिए।