कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली पर कृषि कानूनों को लेकर धमकी देने का दावा करने के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है। तथ्यों की जांच से स्पष्ट हुआ कि अरुण जेटली का निधन अगस्त 2019 में हुआ था, जबकि कृषि कानून जून 2020 में लाए गए थे। ऐसे में राहुल गांधी का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत साबित हुआ। भाजपा नेताओं ने इसे झूठा और दिवंगत नेता की स्मृति का अपमान बताते हुए राहुल गांधी से माफी की मांग की है। यह प्रकरण एक बार फिर सार्वजनिक जीवन में तथ्यों की सटीकता और जिम्मेदारी की आवश्यकता को उजागर करता है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में लगातार हो रहे हंगामे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों को लेकर विपक्ष पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि विपक्ष बार-बार संसद की कार्यवाही में बाधा डालता है और फिर यह झूठा आरोप लगाता है कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा। रिजिजू ने राहुल गांधी के हालिया बयानों को देशविरोधी करार देते हुए कहा कि एक जिम्मेदार नेता को राष्ट्रीय हितों का सम्मान करना चाहिए। उनका कहना है कि संसद का न चलना विपक्ष के ही मुद्दों को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने अपील की कि विपक्ष रचनात्मक बहस करे और सदन की गरिमा बनाए रखे। यह बयान संसद के मॉनसून सत्र के दौरान आया है, जब कई अहम विधेयकों पर चर्चा प्रस्तावित है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि "हिन्दू कभी आतंकी नहीं हो सकता" और कांग्रेस ने वोटबैंक की राजनीति के लिए "भगवा आतंकवाद" जैसे झूठे नैरेटिव को गढ़ा था। शाह ने कांग्रेस पर निर्दोषों को फंसाने और हिन्दू संस्कृति को बदनाम करने का आरोप लगाया, साथ ही सांस्कृतिक एकता की रक्षा का संकल्प दोहराया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 जुलाई 2026 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का रिकॉर्ड तोड़कर भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले निर्वाचित प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। यह ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल उनकी नेतृत्व क्षमता और जनसमर्थन का प्रमाण है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक स्थिरता का भी प्रतीक है।
80 वर्षीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 75 वर्षीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिटायरमेंट की सलाह देकर सियासी माहौल गर्म कर दिया है। मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि "उम्र सिर्फ एक नंबर है," जिससे यह बयानबाजी अब सोशल मीडिया से लेकर संसद तक चर्चा का विषय बन गई है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारतीय सेना पर अभद्र टिप्पणी मामले में लखनऊ की अदालत से जमानत मिल गई है। उन्होंने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दो ₹20,000 के मुचलके भरते हुए माफी मांगी। इससे पहले उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कांग्रेस की तथाकथित उदारीकरण नीतियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें असमानता बढ़ाने वाला करार दिया। उन्होंने कांग्रेस द्वारा फैलाए जा रहे फर्जी वीडियो क्लिप्स पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश की जनता अब इन भ्रामक प्रचारों से गुमराह नहीं होगी। गडकरी ने मोदी सरकार की जनकेंद्रित उपलब्धियों, विशेषकर बुनियादी ढांचे और समावेशी विकास को प्रमुखता से रेखांकित किया, जिससे समाज के सभी वर्गों को लाभ मिल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 25 साल पुरानी त्रिनिदाद यात्रा की एक दिल छू लेने वाली कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें वह हर सुबह 5 बजे उठकर सभी के लिए चाय बनाते थे। यह प्रसंग उनकी सादगी, अनुशासन और सेवा भावना को दर्शाता है, जो आज भी उनके नेतृत्व की पहचान है।
गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस और इंदिरा गांधी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने इसे "सत्ता की भूख" का परिणाम बताते हुए कहा कि आपातकाल लोकतंत्र की हत्या और संविधान का उल्लंघन था। कांग्रेस ने जवाब में बीजेपी पर राजनीतिक स्टंट का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तेलंगाना के 11वें स्थापना दिवस पर राज्यवासियों को शुभकामनाएं दीं और 'प्रजाला तेलंगाना' के निर्माण की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व द्वारा राज्य गठन के योगदान को याद करते हुए आंदोलन के बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
1963 में लोकसभा में डॉ. राममनोहर लोहिया द्वारा प्रधानमंत्री नेहरू के सरकारी खर्चों पर की गई "तीन आना बनाम पंद्रह आना" बहस ने देश में गहराई से व्याप्त गरीबी और सत्ता की विलासिता के बीच की खाई को उजागर किया। यह ऐतिहासिक भाषण न केवल तत्कालीन सरकार की आलोचना था, बल्कि भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय, समानता और जवाबदेही के पक्ष में एक साहसिक हस्तक्षेप भी था।
सोशल मीडिया पर "बच्चे पैदा करने में भी आरक्षण!" जैसी मजाकिया टिप्पणी ने भारत में आरक्षण की व्यापकता और सामाजिक नीतियों पर नई बहस छेड़ दी है। 'अमृत भारत' और 'अतुल्य भारत' के नारों के संदर्भ में यह टिप्पणी जहाँ हास्य का माध्यम बनी, वहीं इसने आरक्षण की सीमाओं और समाज पर इसके प्रभावों को लेकर गंभीर विचार-विमर्श को भी जन्म दिया है।