मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश जल संरक्षण में ऐतिहासिक परिवर्तन की राह पर अग्रसर है। केन-बेतवा लिंक, पार्वती-कालीसिंध-चंबल और तापी बेसिन जैसी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाएं राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई, पेयजल और हरियाली लाकर जल समृद्धि का नया युग शुरू करेंगी।
राजनांदगांव, 29 जुलाई 2025 – जल जीवन मिशन की प्रगति को रफ्तार देने के लिए कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यों की गहन समीक्षा की। उन्होंने हर घर तक नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण कार्यों के निर्देश दिए। बैठक में पाइपलाइन, ओवरहेड टैंक और सोलर आधारित योजनाओं की प्रगति पर चर्चा की गई।
राजनांदगांव में कुपोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, जल आपूर्ति और नगरीय विकास से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा की गई। जिला प्रशासन ने पालक चौपाल, आयुष्मान कार्ड, जल जीवन मिशन और अन्य योजनाओं की प्रगति पर जानकारी दी और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से योजनाओं को और प्रभावी बनाने का संकल्प लिया।
राजनांदगांव जिले के ग्राम बंजारी और फत्तेगंज में जल जीवन मिशन के तहत 73 ग्रामीण परिवारों को अब अपने घरों में नल से स्वच्छ पेयजल की सुविधा मिल रही है। इस योजना ने महिलाओं को पानी की तलाश से मुक्ति दिलाकर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
राजनांदगांव जिले में शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस की थीम पर केंद्रित स्वच्छता त्यौहार के अंतर्गत ग्राम स्तर पर व्यापक स्वच्छता अभियान चलाया गया। कचरा संग्रहण से लेकर जागरूकता रैली और सम्मान समारोह तक, इस अभियान ने स्वच्छता को जन आंदोलन का रूप दे दिया।
राजनांदगांव में बढ़ते जलसंकट को देखते हुए नगर निगम ने शहर के 61 सार्वजनिक कुओं में से प्रथम चरण में 15 कुओं की सफाई शुरू कर दी है। महापौर मधुसूदन यादव ने गांधी चौक कुआं की सफाई का निरीक्षण करते हुए सभी कुओं से सील्ट निकालने और साफ-सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने नागरिकों से भी जलस्रोतों के संरक्षण और स्वच्छता बनाए रखने की अपील की है।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रमेन डेका ने पहली बार नवगठित मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले का दौरा कर एक ऐतिहासिक पहल की। उन्होंने अधिकारियों के साथ योजनाओं की समीक्षा करते हुए जल संरक्षण, जैविक खेती, स्वच्छता, शिक्षा, और महिला सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जोर दिया। यह दौरा प्रशासनिक संवेदनशीलता और विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बना।
मोंगरा बैराज के सूखे दृश्य ने छत्तीसगढ़ के पेंशनरों को पर्यावरण संरक्षण की गंभीरता का एहसास दिलाया। भ्रमण के दौरान उन्होंने जल संरक्षण और वृक्षारोपण का संकल्प लेते हुए पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को दोहराया। यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सकारात्मक संदेश और प्रेरणा है कि समाज का हर वर्ग प्रकृति के संरक्षण में भागीदार बन सकता है।