भक्ति, संकल्प और सामाजिक एकता का संदेश लेकर अमरकंटक से 151 किमी पैदल भोरमदेव पहुंचे कांवड़ियों की यात्रा का भव्य समापन पंडरिया विधायक भावना वोहरा के नेतृत्व में हुआ। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति और शिव लिंग पर जलाभिषेक के साथ इस यात्रा ने कबीरधाम के धार्मिक इतिहास में नई पहचान बनाई।
As the holy month of Shravan continues, 60 Shiva devotees from Chhuriya and nearby villages will begin their annual Kanwar Yatra to Baidyanath Dham on August 2, carrying Ganga water on foot for over 120 km from Sultanganj.
पंडरिया की विधायक भावना बोहरा के नेतृत्व में निकली 151 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। अमरकंटक से शुरू हुई यह पुण्य यात्रा रविवार को भोरमदेव मंदिर में शिव जलाभिषेक के साथ सम्पन्न होगी। बोड़ला में कांवड़ियों का आत्मीय स्वागत किया गया, और अंतिम चरण की यह आध्यात्मिक यात्रा शिवभक्ति, एकता और ऊर्जा का संदेश लेकर चल रही है।
कवर्धा जिले की पंडरिया विधायक भावना बोहरा द्वारा अमरकंटक से भोरमदेव तक 151 किलोमीटर की पैदल कांवड़ यात्रा की शुरुआत की गई। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सहित हजारों श्रद्धालुओं ने विभिन्न स्थलों पर कांवड़ यात्रियों का पुष्पवर्षा से भव्य स्वागत किया। यह यात्रा श्रद्धा, एकता और सनातन संस्कृति का प्रतीक बन गई है, जो क्षेत्र में सामाजिक समरसता को मजबूती प्रदान कर रही है।
BJP leader Madhavi Latha was detained by Telangana Police during a protest in Banjara Hills over the alleged demolition of a temple by the Congress-led state government. The incident has sparked political tensions, with the BJP accusing the government of hurting Hindu sentiments and suppressing peaceful dissent.
छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने विधायक भावना बोहरा की 151 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा की सराहना करते हुए उन्हें टेलीफोन पर शुभकामनाएं दीं। अमरकंटक से भोरमदेव मंदिर तक की यह पदयात्रा श्रद्धा, संकल्प और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन गई है।
उज्जैन के श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में श्रावण शिवरात्रि के पावन अवसर पर भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। विशेष भस्म आरती, मंत्रोच्चार और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने मंदिर परिसर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। भगवान महाकाल के दर्शन के लिए देशभर से उमड़े भक्तों ने श्रावण मास की इस शिवरात्रि को अत्यंत पवित्र बना दिया।
श्रावण मास के द्वितीय सोमवार को उज्जैन में निकली बाबा महाकाल की भव्य सवारी ने भक्ति, संस्कृति और एकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। जनजातीय कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ और लाखों श्रद्धालुओं की भागीदारी ने इस आयोजन को केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक बना दिया। ऐसे समय में जब देश में भाषाई और सांस्कृतिक मतभेद चर्चा में हैं, यह सवारी एक स्पष्ट संदेश देती है—विविधता में ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।