राजनांदगांव जिले में 29 मई से 12 जून 2025 तक विकसित कृषि संकल्प अभियान का संचालन किया जा रहा है। इस अभियान के माध्यम से किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, प्राकृतिक खेती, बीज उपचार, पशुपालन, कृषि ड्रोन, मृदा स्वास्थ्य कार्ड व नवीन कृषि योजनाओं की जानकारी गांव-गांव पहुंचाई जा रही है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने किसानों से अभियान में सक्रिय सहभागिता की अपील की है।
भारत सरकार के सहयोग से चलाए जा रहे "विकसित कृषि संकल्प अभियान" के अंतर्गत राजनांदगांव जिले के छह गांवों में कृषि जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों में बीज उपचार, जैविक खाद निर्माण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और कृषि की समसामयिक तकनीकों पर किसानों को प्रशिक्षित किया गया। शिविरों में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया और जैविक खेती को अपनाने की दिशा में प्रेरित हुए।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘लैब टू लैंड’ पहल की घोषणा करते हुए कहा कि अब वैज्ञानिक अनुसंधानों को सीधे किसानों के खेतों तक पहुंचाया जाएगा। 29 मई से 12 जून 2025 तक चलने वाले 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के तहत कृषि वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और विभागीय अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को उन्नत तकनीक, बीज और समाधान उपलब्ध कराएंगे। इस अभियान से किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादकता में क्रांतिकारी सुधार की उम्मीद है।
The Centre has approved an additional 2.8 million tonnes of FCI rice for ethanol production under the Ethanol Blended Petrol (EBP) programme, raising the total allocation to 5.2 million tonnes for 2024-25. While aimed at reducing fuel imports and emissions, the move has sparked criticism over food security risks and the diversion of staple grains for industrial use.
ALVA Foundation और कृषि विभाग लांजी (जिला बालाघाट) द्वारा 5 एकड़ में जैविक रागी फसल का प्रदर्शन क्षेत्र विकसित कर किसानों के बीच जागरूकता की नई लहर पैदा की गई है। जीरो टिलेज तकनीक और रसायन मुक्त खेती जैसे उपायों ने किसानों को प्रेरित किया है, जिससे वे अब रागी की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।
भारत का सहकारिता आंदोलन, समावेशी विकास और ग्रामीण सशक्तिकरण में क्रांतिकारी भूमिका निभा रहा है। सहकारिता मंत्रालय की स्थापना और हालिया सुधारों के साथ, यह क्षेत्र डिजिटल बदलाव, पारदर्शिता और आर्थिक समावेशन को बढ़ावा दे रहा है। पैक्स के कम्प्यूटरीकरण से लेकर बहुराज्य सहकारी समितियों की स्थापना तक, सरकार सहकारिता को नए स्तर पर ले जा रही है। इफको की नैनो उर्वरक क्रांति और त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय जैसी पहलों से सहकारी क्षेत्र का सशक्तिकरण हो रहा है। 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया गया है, जिससे भारत की सहकारी सफलता को वैश्विक पहचान मिलेगी।
भारत का सहकारी आंदोलन एक नए युग की ओर बढ़ रहा है, जिसे सहयोग मंत्रालय और सहकारी विश्वविद्यालय के नेतृत्व में मजबूती मिल रही है। मंत्रालय की नीतिगत सुधारों, डिजिटल पारदर्शिता और नई बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों की स्थापना के माध्यम से सहकारी क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) को सशक्त बनाने, बहु-राज्यीय सहकारी समितियों के विकास, और विकेन्द्रीकृत भंडारण योजनाओं जैसी पहलों ने इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। साथ ही, इफको (IFFCO) के नैनो उर्वरकों जैसे नवाचारों ने कृषि क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाई है। त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय सहकारी शिक्षा और नेतृत्व विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत के सहकारी आंदोलन को आधुनिक बनाने में सहायक होगा।